Saturday, December 28, 2019

बातूनी तस्वीर

क्या ये सचमुच बुरा वक़्त है?
ख़बरें मेरी छाती पे,मूंग दल रही हैं।
हर बातूनी तस्वीर की ज़ुबान में,
हीरे की कनी है...
कानों से उतर कर,आँतों तक सुन,
जैसे मैंने हीरा चाट लिया हो....

अभी-अभी ताज़ा लहू,,,
चटकारे लेकर बहाते देखा है,,,
मैंने बातूनी तस्वीर को..
कुछ दिनों तक रक्तबीज,
बनी रहेगी,ये बातूनी तस्वीर...
तुम रोना बुक्का फाड़ के.
तुम्हारी छाती में हूक सा,,
बैठ जाएगा डर...
हॉरर फिल्मों सी लत,
घेर लेगी तुम्हें,मुझे और बच्चों को...

बच्चे इनमें ढूंढेगे,अपने
जटिलतम सवालों के हल...
हम-तुम देखेंगे,
हर किसी को,अपनी आधा-पल्ली आंखों से....

जो नहीं घट रहा है,
उसे घटाने का तरीका,
बताती है,बातूनी तस्वीर...
चीखती,सवाल करती,
चार लाइन ख़बर पे सप्लीमेंट्री भरती,
बातूनी तस्वीर...
बच्चे-बड़ों के दिमाग़ में,
अच्छी कम,ज़्यादा बुरी,
तस्वीर उकेरती है...

इन बातूनी तस्वीरों के लिए कोड ऑफ कंडक्ट क्यों नहीं बनाता कोई....????